गोरखपुर। आज सिटी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, गोरखपुर एवं फोर्टिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम के संयुक्त तत्वावधान में थैलेसीमिया जागरूकता एवं निःशुल्क थैलेसीमिया कैंप का सफल आयोजन किया गया। इस अवसर पर थैलेसीमिया रोगियों के लिए निःशुल्क HLA जांच, थैलेसीमिया से संबंधित स्वास्थ्य वार्ता तथा परामर्श प्रदान किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से डॉ. राहुल भार्गव, निदेशक – हेमेटोलॉजी एवं बोन मैरो ट्रांसप्लांट, फोर्टिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम; डॉ. ए. के. मल्ल , निदेशक, सिटी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, गोरखपुर; डॉ. शिल्पा मल्ल , बीआरडी मेडिकल कॉलेज; एवं डॉ. शुभा बंसल उपस्थित रहीं I
प्रशन उत्तर सत्र में निम्न प्रश्नो के उत्तर डॉ राहुल भार्गव ने बड़े ही सरल भाषा में दिये जैसे की -
प्रश्न 1: थैलेसीमिया क्या है?
उत्तर: थैलेसीमिया एक आनुवंशिक रक्त विकार है, जिसमें शरीर में हीमोग्लोबिन का निर्माण ठीक से नहीं हो पाता, जिससे मरीज को बार-बार रक्त चढ़ाने की आवश्यकता पड़ती है।
प्रश्न 2: थैलेसीमिया होने का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर: इसका मुख्य कारण माता-पिता से मिलने वाला जीन म्यूटेशन है। यदि दोनों माता-पिता थैलेसीमिया ट्रेट के वाहक हों, तो बच्चे में थैलेसीमिया होने की संभावना अधिक होती है।
प्रश्न 3: थैलेसीमिया को समय रहते कैसे पहचाना जा सकता है?
उत्तर: समय पर रक्त जांच, हीमोग्लोबिन इलेक्ट्रोफोरेसिस, और विवाह से पूर्व कैरियर स्क्रीनिंग से थैलेसीमिया की पहचान संभव है।
प्रश्न 4: थैलेसीमिया का इलाज कैसे संभव है?
उत्तर: नियमित रक्त चढ़ाना, आयरन चिलेशन थेरेपी और बोन मैरो ट्रांसप्लांट इसका स्थायी इलाज है। सही समय पर ट्रांसप्लांट से मरीज पूरी तरह स्वस्थ जीवन जी सकता है।
प्रश्न 5: बोन मैरो ट्रांसप्लांट किन मरीजों के लिए उपयुक्त है?
उत्तर: जिन मरीजों को HLA मैच्ड डोनर मिल जाता है, उनके लिए बोन मैरो ट्रांसप्लांट सर्वोत्तम विकल्प है, विशेषकर बच्चों में इसके परिणाम अत्यंत सकारात्मक होते हैं।
प्रश्न 6: क्या बोन मैरो ट्रांसप्लांट सरकार की मदद से संभव है?
उत्तर: हाँ, केंद्र एवं राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत निःशुल्क या आर्थिक सहायता से बोन मैरो ट्रांसप्लांट संभव है, जैसा कि गोरखपुर के एक बच्चे के सफल इलाज से प्रमाणित है।
इस अवसर पर डॉ. राहुल भार्गव ने जानकारी दी कि गोरखपुर का एक थैलेसीमिया पीड़ित बच्चा सरकारी सहायता के माध्यम से निःशुल्क बोन मैरो ट्रांसप्लांट कराकर पूर्णतः स्वस्थ हो चुका है। साथ ही उन्होंने बताया कि गोरखपुर के 5 अन्य बच्चे वर्तमान में बोन मैरो ट्रांसप्लांट हेतु जांच प्रक्रिया में हैं, जो क्षेत्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने “मिशन 2035 – थैलेसीमिया मुक्त भारत” के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए समय पर जांच, जेनेटिक काउंसलिंग और जागरूकता पर विशेष जोर दिया।
डॉ. ए. के. मल्ल ने कहा कि सिटी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल का उद्देश्य पूर्वाञ्चल क्षेत्र के मरीजों को विश्वस्तरीय उपचार एवं जांच सुविधाएं स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कराना है, ताकि गंभीर रोगों का समय पर और प्रभावी इलाज संभव हो सके।
कार्यक्रम में पूर्वाञ्चल थैलेसीमिया सोसाइटी के अध्यक्ष श्री संजय गर्ग एवं सचिव श्री सतनाम सिंह, तथा इनरव्हील्स रेनबो क्लब की अध्यक्ष डॉ. संगीता मल्ल की गरिमामयी उपस्थिति रही। सभी अतिथियों ने इस पहल की सराहना करते हुए इसे समाज के लिए अत्यंत उपयोगी बताया।
यह कैंप थैलेसीमिया जैसे आजीवन रोगों के प्रति जागरूकता बढ़ाने, रोगियों एवं उनके परिजनों को सही मार्गदर्शन देने तथा थैलेसीमिया मुक्त भारत के संकल्प को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।
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