ऋषि सेवा समिति, गोरखपुर के तत्वावधान में आजाद चौक समीपस्थ दुर्गा चौक स्थित मेहंदी लॉन में आयोजित शिवमहापुराण कथा का शुभारम्भ करते हुए काशी निवासी अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त वक्ता श्रीविद्या सिद्ध एवं ज्योतिष सम्राट परम पूज्य राघव ऋषिजी ने कहा कि शिवमहापुराण कथा श्रवण करने से मनुष्य के साधन एवं साधना को स्थिरता प्राप्त होती है। इसमें 24,000 श्लोक एवं सात संहिताएं हैं तीर्थ स्नान करने से शरीर पवित्र होता है व शिवपुराण कथा श्रवण करने से सर्वांगीण पवित्रता व सुख की लाभ होता है। पूर्वकाल में एक देवराज नाम का ब्राह्मण जो केवल सांसारिक क्रियाकलापों में व्यस्त था तथा अनेक प्रकार के दुर्गुण उसके जीवन में आ गए थे अंत समय में शिवपुराण श्रवणकर मुक्ति प्राप्त कर लिया।
कथा से पूर्व पूर्वान्ह 11 बजे से भव्य कलश यात्रा निषाद चौक स्थित दुर्गा मंदिर से प्रारंभ होकर न्यू शिवपुरी कॉलोनी, आजाद चौक स्थित भव्या मैरेज हॉल होते हुए कथास्थल पर आकर पूर्ण हुई। 108 महिलाएं सिर पर कलश लेकर एवं पुरुषवर्ग हाथ में ध्वजा लेकर पदयात्रा करते हुए शोभायात्रा में चल रहे थे। विभिन्न स्थानों पर पुष्पवृष्टि, बैंडबाजे एवं मंगलगान द्वारा वातावरण गुंजायमान हो रहा था। मुख्य यजमान श्रीमती गायत्री देवी एवं दीन दयाल शरण कसौधन शिवपुराण की पोथी एवं प्रधान कलश लेकर चल रहे थे। पूज्य ऋषिजी यात्रा में सनातन प्रेमियों का अभिवादन स्वीकार करते हुए चल रहे थे।
भगवान शिव का पंचाक्षर मंत्र जिसमें अकार भगवान के उत्तर, उकार पश्चिम एवं मकार दक्षिण मुखों सहित बिंदु तथा मध्यवर्ती मुख से नाद उत्पन्न हुआ। इस प्रकार पांचों अवयवों को मिलकर ॐ शब्द बना जो कि शिव और शक्ति का बोधक है।
शिवलिंग के विषय में बताते हुए पूज्य ऋषिजी ने कहा कि मूर्ति साकार एवं शिवलिंग निराकार रूप है। शिव जी ही एकमात्र देवता हैं जिनके साकार एवं निराकार दोनों रूपों की पूजा होती है।
शिवलिंग उत्पति के विषय में बताया गया कि एकबार आदिदेव ब्रह्माजी और भगवान नारायण में बड़े होने के अहंकार हो गया कारणवश दोनों में विवाद और युद्ध छिड़ गया जिससे सृष्टि में दुर्घटनाएं होने लगीं। भगवान शिव ने दोनों के बीच एक प्रकाश स्तम्भ प्रकट किया जो अनादि अनंत था जो देवताओं के निवेदन पर शिवलिंग आकार ले लिया।
प्रतिदिन सायं 05:30 से 09:30 बजे तक 14 नवम्बर पर्यन्त कथा का रसपान कराया जाएगा। पोथीपूजन, व्यासपूजन मुख्य यजमान द्वारा किया गया। समिति से सर्वश्री रामाधार वर्मा, बनवारी लाल निगम, सतीश सिंह, सौरभ रुंगटा, कन्हैयालाल अग्रवाल, मुन्नालाल गुप्ता, बिष्णु नन्द द्विवेदी, रामशंकर त्रिपाठी, वीरेंद्र पाठक, यूपीएन सिंह, ओमप्रकाश मौर्य, विकास गुप्ता, रुद्र प्रताप त्रिपाठी, अतुल तिवारी, मनोज वर्मा, भरत गुप्ता, विनय पाण्डेय, रमेश राज, ओंकार कसौधन, राजू सिंह, धर्मेन्द्र गुप्ता द्वारा आरती की गयी।
समिति के मीडिया प्रभारी श्री विनोद शुक्ल द्वारा बताया गया कि शनिवार के कथाक्रम में नारद मोह, सती प्रसंग, भस्म एवं रुद्राक्ष की महिमा पर प्रवचन होगा।
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