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सदाशिव का निराकार स्वरूप ही शिवलिंग है: राघव ऋषि




आजाद चौक समीपस्थ दुर्गा चौक स्थित मेहंदी लॉन में आयोजित ऋषि सेवा समिति, गोरखपुर के तत्वावधान में चल रही संगीतमयी शिवमहापुराण कथा के द्वितीय दिवस काशी से पधारे अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त वक्ता श्रीविद्या सिद्ध सन्त ज्योतिष सम्राट पूज्य राघव ऋषि जी ने दिव्य रहस्य उद्घाटित करते हुए कहा कि भगवान शिव का स्वरूप कल्याण दायक है "शिवम् कल्याण दायकम" जिनके द्वारा दानव, मानव, वर्गों का नित्य कल्याण होता है जिनकी कृपा प्राप्त किए बिना संसार का कोई भी कर्म सिद्ध व सफल नहीं हो सकता। शिवमहापुराण भगवान शिव के संपूर्ण वाङ्मय का साक्षात दर्शन कराती है।
जन्म, मृत्यु के बंधन से मुक्त होने के लिए व भक्ति, मुक्ति का सरल सहज साधन प्रदान करने वाली है।

कथा के मध्य भगवान शिव की महिमा को भजन के बोलों में सजाकर पूज्य ऋषिजी के एकमात्र सुपुत्र सौरभ ऋषि ने "शंकर बना हरि न मेरी पीर" सुना भावविभोर किया भक्त प्रसन्न भाव से झूमे।

कथा प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए पूज्यश्री ने कहा कि एकबार काम विजय के मदांध में नारदजी ने भोलेनाथ का अनादर कर दिया कारणवश भगवान श्रीहरि ने नारदजी को अपनी मायाजाल में मोहित कर उनके अहंकार निमित्त शशांक शेखर की आराधना का निर्देश देकर उनके दारुण संताप को शांत किया।

सती चरित्र पर व्याख्या करते हुए ऋषिजी ने कहा कि दक्ष प्रजापति की पुत्री देवी सती  जो कि भगवान शिव की अर्द्धांगिनी थीं संदेह में आकर मां सीता का वेश धारणकर भगवान राम की परीक्षा लेनी चाहीं जिसमें वह पूर्ण असफल रहीं। परिणामातः भगवान शिव ने उनका परित्याग कर दिया फलस्वरूप देवी सती ने भगवान शिव के अपमान को देखते हुए अपने पिता द्वारा रचित यज्ञकुंड में स्वयं को भस्म कर दिया।

रुद्राक्ष के विषय में बताते हुए ऋषिजी ने कहा कि तपस्याकाल में भगवान शिव के नेत्रों से प्रेमाश्रु द्वारा धराधाम पर रुद्राक्ष के वृक्षों की उत्पत्ति हुई जो कि देवताओं को भी दुर्लभ है। सदाशिव को शीघ्र प्रसन्न करना है तो निर्मल मन से रुद्राक्ष पर जप करने का विधान है।

ब्रह्मा विष्णु महेश त्रिगुण रूपों का प्रतीक त्रिपुंड है जिसे मनुष्य भस्म द्वारा धारण करता है। भगवान शिव की अत्यंत प्रिय भस्म जिसे साधक को शिवपूजन में आवश्यक रूप से अर्पित करना चाहिए।

पोथीपूजन एवं व्यासपूजन मुख्य यजमान श्रीमती गायत्री देवी एवं दीन दयाल शरण कसौधन द्वारा संपन्न किया गया। कथा आरती में समिति के पदाधिकारियों सर्वश्री रामाधार वर्मा, बनवारी लाल निगम, सतीश सिंह, सौरभ रुंगटा, कन्हैयालाल अग्रवाल, मुन्नालाल गुप्ता, बिष्णु नन्द द्विवेदी, रामशंकर त्रिपाठी, वीरेंद्र पाठक, यूपीएन सिंह, विकास गुप्ता, ओमप्रकाश मौर्य, रुद्र प्रताप त्रिपाठी, अतुल तिवारी, मनोज वर्मा, भरत गुप्ता, विनय पाण्डेय, राजीव त्रिपाठी, मनोज गुप्ता, धीरज गुप्ता, धर्मेंद्र गुप्ता, रमेश राज, ओंकार कसौधन भक्त श्रदालुओं ने पोथी एवं झांकी की भावपूर्ण आरती संपन्न कर पुण्यलाभ प्राप्त किया।

समिति के मीडिया प्रभारी श्री विनोद शुक्ल द्वारा बताया गया कि रविवार की कथा में शिव विवाह का प्रसंग रहेगा जिसकी तैयारी को क्षेत्रवासियों द्वारा पूर्णता प्रदान की जा रही है।

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