गोरखपुर , रवि गुप्ता
ऋषि सेवा समिति गोरखपुर के तत्वाधान में चल रही संगीतमय शिव महापुराण के अष्टम दिवस स्थानीय तारामंडल स्थित मंगल मंगलम लान परिसर में कथा का रसपान कराते हुए पूज्य राघव ऋषि जी ने दिवस उद्घाटित करते हुए बताया कि आवरण नहीं आचरण सुधारें संसार में रहते हुए आचरण का अनुकरण हो सकता है किंतु आवरण परित्याग करते हुए आचरण की शुद्ध संभव है जिस प्रकार संत के द्वारा सत्संग संभव होता है उसी तरह आचरण का पालन करना साधु आचरण करना संभव है इसलिए सत्संग के ही द्वारा साधु आचरण मिल सकता है आगे कथाक्रम में पूज्य श्री ने भगवान शिव के विभिन्न स्वरूपों का विस्तृत विवेचन करते हुए बताया शिव कल्याण में दायक है अपने दिव्य स्वरूप से भक्तों का हर पल हर क्षण कल्याण करते हैं ऐसे ही परम पावन स्वरूप के द्वादश ज्योतिर्लिंग की महिमा के क्रम में भगवान काशी विश्वेश्वर भगवान की महिमा का वर्णन करते हुए बताया कि भगवान के पेजों में जो भक्त मुक्त को देने वाला है भगवान शिव को समस्त विद्याओं का आदिगुरु बताया गया है ऐसे पालनहार भगवान हर कड़ कड़ में एवं समस्त जिओ का यही कल्याण करते हैं सौरभ ऋषि जी ने हर साल मैं दर पर आऊंगा मोहक भजन सुना भक्तों को भावविभोर किया आरती में समिति के गाने मान साधक साधिका व पदाधिकारियों का जन सामान्य के सामने परिचय व गुरुदेव से आशीर्वाद प्रदान कर आ गया वह सभी भक्तों एवं साधकों ने भव्य आरती की जिसमें मुख्य रुप से रामाधार वर्मा बनवारीलाल निगम कन्हैयालाल अग्रवाल मुन्ना लाल गुप्ता रमाशंकर तिवारी वीरेंद्र पाठक उदय प्रताप नारायण सिंह रुद्र प्रताप त्रिपाठी सुरेश गुप्ता निर्मला दुबे नीलम शुक्ला रेखा सिंह रमेश राज अनिता राज एवं अन्य भक्तों ने आरती संपन्न कराई ।
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