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ऐम्स गोरखपुर में हुआ कुष्ठ रोग पर संगोष्ठी का आयोजन

7 दिसंबर को ऐम्स गोरखपुर में कुष्ठ रोग पर एक संगोष्ठी का आयोजन त्वचा विभाग द्वारा विभागाध्यक्ष डॉ. सुनील कुमार गुप्ता के निर्देशन में, इंडियन एसोसिएशन ऑफ लेप्रोलॉजिस्ट्स के सहयोग से किया गया। “कुष्ठ रोग 360° – नवप्रवर्तन, चुनौतियां & एकीकृत देखभाल” शीर्षक वाली इस संगोष्ठी का आयोजन ऐम्स गोरखपुर की कार्यकारी निदेशक एवं सीईओ मेजर जनरल (डॉ.) विभा दत्ता के संरक्षण में हुआ, जिनकी उपस्थिति ने संस्थान की इस क्षेत्र में साक्ष्य-आधारित जनस्वास्थ्य पहलों और कुष्ठ उन्मूलन प्रयासों के प्रति प्रतिबद्धता को और सुदृढ़ किया।

इस कार्यक्रम में प्रसिद्ध चिकित्सा विशेषज्ञों, युवा डॉक्टरों तथा इंडियन एसोसिएशन ऑफ लेप्रोलॉजिस्ट्स के विशिष्ट सदस्यों—डॉ. सुजई के. सुनीथा (अध्यक्ष), डॉ. संतोषदेव राठौड़ (मान. सचिव) और डब्ल्यूएचओ राज्य समन्वयक डॉ. तनुज शर्मा—ने भाग लिया।
जर्मन कुष्ठ एवं क्षय रोग राहत संघ और अंतर्राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के क्षेत्रीय अनुसंधान समन्वयक डॉ. श्रीलेखा पेन्ना ने सत्र में क्षेत्र में कुष्ठ रोग के सर्वाधिक नए मामलों की पहचान दर तथा बच्चों में बढ़ते नए मामलों पर प्रकाश डाला गया, जो इसके सक्रिय प्रसारण का संकेत है। इस परिप्रेक्ष्य में समुदाय को जागरूक करने, शीघ्र पहचान, उपचार के प्रति अनुपालन, निवारक उपायों और सामाजिक कलंक को कम करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।

वक्ताओं ने कुष्ठ रोग के बोझ, विशिष्ट नैदानिक लक्षणों, निदान एवं उपचार में नवाचारों, रोकथाम और संपूर्ण देखभाल पर महत्वपूर्ण जानकारियाँ साझा कीं।डॉ. स्वस्तिका सुवीर्या ने कुष्ठ रोग में केंद्रीय तंत्रिका तंत्र की भागीदारी और एमआरआई जैसी न्यूरोइमेजिंग विधियों के माध्यम से निदान किए गए परिवर्तनों के बारे में बात की। 

डॉ. स्वेतलिना प्रधान ने कुष्ठ रोग में प्रथम और द्वितीय श्रेणी की दवाओं के प्रति बढ़ते रोगाणुरोधी प्रतिरोध और प्रतिरोधी मामलों के संचरण को रोकने के लिए संदिग्ध मामलों में नियमित परीक्षण की आवश्यकता पर जानकारी प्रदान की।डॉ. तेजस पटेल ने कुष्ठ रोग में नई संभावित दूसरी पंक्ति की दवाओं के बारे में बात की और डॉ. अंकुर तलवार ने ट्रॉफिक अल्सर को रोकने और प्रबंधित करने के तरीकों के बारे में बताया।डॉ. प्रदीप खरया ने क्षेत्रीय स्तर पर कुष्ठ रोग सेवाओं को एकीकृत करने की आवश्यकता पर जोर दिया

संगोष्ठी में पुरस्कार-पत्र सत्र के दौरान त्वचा विभाग के स्नातकोत्तर छात्रों द्वारा कई महत्वपूर्ण शोध प्रस्तुत किए गए, जिससे संस्थागत एवं जमीनी स्तर पर अनुसंधान को बढ़ावा मिला और कुष्ठ उन्मूलन के लक्ष्य को सशक्त आधार मिला।

कार्यक्रम ने निगरानी को बेहतर बनाने, लांछन कम करने तथा कुष्ठ नियंत्रण और उन्मूलन की दिशा में सामूहिक रूप से सक्रिय होकर कार्य करने की आवश्यकता को रेखांकित किया।

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