श्री रामकथा मन्दाकिनी के विश्राम दिवस पूज्य राघव ऋषि जी ने दिव्य रहस्य उद्घाटित करते हुए कहा कि परमात्मा की भक्ति ही शक्ति हमारे सम्पूर्ण शरीर विद्यमान है जिसके फलस्वरूप हम किसी भी कार्य करने में समर्थ हैं। उस परमात्मा की शक्ति के बिना सब शून्य है।
कथा प्रसंग को सुनाते हुए पूज्यश्री ने कहा की भक्त की भक्ति से प्रभु को पाया जा सकता है। जिस प्रकार शबरी की भक्ति से प्रसन्न हो नवधा भक्ति का उपदेश दिया भगवान से कुछ मांगे लेकिन बिना मांगे जो प्रभु देते हैं उसका प्रभाव अलग है।
भक्त की प्रतिमूर्ति ज्ञान, समस्त गुणों की खान प्रभु श्रीराम के चरण सेवक हनुमान जी जिन्होंने प्रभु हर विषम परिस्थित में सेवा कर स्वयं भगवान की ऋणी बनाया भक्ति ऐसी हो की भगवान भी अविभूत हो जाएं। अधर्म पर धर्म की विजय शंखनाद कर भगवान ने समूल अधर्म का विनाश किया। आज समस्त देव प्रभु श्री राम को बारंबार वंदन करते हैं।
आज अयोध्या को दुल्हन के जैसे सजाया गया देवलोक से दिव्य सिंहासन आया जिसमे प्रभु श्रीराम, सीता, लक्ष्मण समेत अयोध्या पहुंचे सभी पुर वासियों ने अपने राजा रामचन्द्र जी का बड़े उत्साह से अभिनंदन किया।
माताएं आज फिर चारो पुत्रों को एक साथ देख अति प्रसन्न हुई।
गुरुदेव स्वयं अयोध्या में भगवान राम के राज्याभिषेक का आदेश दिया।
श्रीसीताराम राजगद्दी में विराजमान हुए प्रथम तिलक स्वयं वशिष्ठ मुनि ने किया वेद मंत्रों द्वारा सभी माताओं ने अभिषेक, तिलक कर अखंड रामराज्य का आशीर्वाद दिया।
संपूर्ण अयोध्या वासियों ने रामराज्य का उत्साह मनाया।
हे सरयू मैया तेरी लहर लहरिया रे मधुर भजन सुना सौरभ ऋषि ने भक्तों को भावविभोर किया व झूमने पर विवश किया।
समिति के रामाधार वर्मा कन्हैयालाल अग्रवाल मुन्नालाल गुप्ता सतीश सिंह बिष्णु नन्द द्विवेदी सौरभ रूंगटा वीरेन्द्र पाठक राम शंकर त्रिपाठी उदय प्रताप सिंह मनोज वर्मा भरत गुप्ता विनोद शुक्ल रुद्र प्रताप त्रिपाठी अतुल तिवारी राजीव त्रिपाठी विनय पाण्डेय सपत्नीक व गणमान्य भक्त श्रोताओं ने रामराज्य स्वरुप की भव्य आरती कर पुण्यलाभ अर्जित किया।
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