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केवट की भक्ति निष्काम आराधना की पराकाष्ठा है :राघव ऋषि



श्रीराम चरणों की कृपा पाने वाले सरल सहज भक्तों की श्रेणी में प्रभु श्री राम के अत्यंत प्रिय भक्त जिनकी भक्ति में कुछ भी पाने की कामना नहीं है ऐसे भक्त की भक्ति से ही भगवान प्रसन्न होते हैं भक्त और भगवान एक दूसरे के पूरक हैं। भक्त से ही भक्ति का प्रचार प्रसार होते आया है इसीलिए कभी कभी भगवान को भी भक्तों से काम पड़े यह उक्ति चरितार्थ होती है। रामकथा के पंचम दिवस सेंदूली बेंदूली, बड़गो स्थित सिद्धि विनायक लॉन में अपार जनसमूह को भगवान के भक्त का जीवंत उदाहरण देते हुए पूज्य श्री राघव ऋषि जी ने भक्त और भगवान के बीच के मर्म को सुनाया।
कथा प्रसंग की विशद व्याख्या करते हुए पूज्य श्री ने केवट के पावन चरित्र को सुनाते हुए कहा कि वास्तव में सच्चा भक्त तो वही है जिसे भगवान से कुछ पाने की इच्छा न हो क्योंकि स्वार्थ सिद्ध करने के लिए की हुई भक्ति तो सौदा हो गया। निः स्वार्थ भक्ति कर भगवान को पाने का सहज साधन है ऐसे ही कुछ सत्कर्मों से पूरित केवट हुए।
प्रभु श्रीसीताराम पिता के वचन को मान वनगमन करते हैं। मार्ग में चलते हुए गंगा पार उतरने के लिए केवट से नाव की याचना करते हैं। भगवान के वचन सुन केवट ने उनके मर्म को अन्तर्मन में सोच विचार कर कहा की चरणों की रज मिल जाए तो मै आपको गंगा पार उतार दूं।
सौरभ जी ने राम केवट प्रसंग का बड़ा ही मार्मिक भजन सुनो रघुनाथ तुमको पार अब कैसे उतारूं मैं सुना अपार जन समूह को भावविभोर व अश्रुपूरित किया।
भगवान ने केवट के प्रेम से भरे वचनों को सुन प्रसन्न हो चरण पखारने की स्वीकृति दी मानो प्रभु ने उसके सम्पूर्ण जीवन की भक्ति को धन्य कर दिया हो। बड़ी उत्सुकता से चरण रज पा कर मानो जगत की अनमोल सम्पदा पा ली हो। करकमल और चरणकमल पाने के अतिरिक्त केवट की कोई कामना नहीं रह गई।
भगवान की इच्छा में ही अपना कल्याण मानकर भक्ति मार्ग पर चलने से ही भगवान प्रसन्न होकर भक्त के आधीन हो जाते हैं।
कथा आरती में प्रमुख रूप से कन्हैयालाल अग्रवाल, मुन्नालाल गुप्ता, सतीश सिंह, बिष्णु नन्द द्विवेदी, वीरेन्द्र पाठक, उदय प्रताप सिंह, विनय पाण्डेय, रुद्र प्रताप त्रिपाठी, अतुल तिवारी, राजीव त्रिपाठी, भरत गुप्ता के साथ दैनिक यजमानों की उपस्थिति रही।
मीडिया प्रभारी  विनोद शुक्ल ने बताया कि शनिवार की कथा में वाल्मीकि आश्रम एवं चित्रकूट निवास की रसपूर्ण लीला के प्रसंग रहेंगे।

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