Ticker

6/recent/ticker-posts

Ad Code

Responsive Advertisement

"बाबू जगजीवन राम का राजनीतिक चिंतन" विषय पर केंद्रित राष्ट्रीय परिसंवाद का आयोजन



महू (इंदौर)। रवि गुप्ता 

बाबू जगजीवन राम के राजनैतिक चिंतन में राष्ट्र प्रेम एवं सामाजिक समरसता परिलक्षित होती है। उनके समावेशी चिंतन में सामाजिक न्याय सबसे ऊपर था। उन्होंने भारतीय राजनीति को पल्लवित करने का प्रयास किया उनका मानना था कि भेदभाव पूर्ण राजनीति समाज की उन्नति का मार्ग प्रशस्त नहीं कर सकती है। उक्त बातें डॉ. बी. आर. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डी.के. शर्मा ने ‘बाबू जगजीवनराम का राजनैतिक चिंतन’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय परिसंवाद कार्यक्रम में बतौर अध्यक्ष कही।

मुख्य वक्ता के रूप में मगध विश्वविद्यालय, बिहार के इतिहास विभाग के प्रो. नृपेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि बाबू जी का संसद में रहने का सबसे लम्बा कार्यकाल रहा है। इसी से उनकी कार्यकुशलता और सामाजिक प्रतिबद्धताओं को समझा जा सकता है। राजनीतिक चिंतन के शिखर पुरुष बाबू जी को आर्थिक एवं सामाजिक रूप से पिछड़े समुदाय का ध्यान सदैव रहता था। उनके नीतियों में सदैव गाँव, गरीब और किसान ही रहे हैं। खाद्यान संकट से आज हम उबर गए हैं, यह बाबू जी की सफल नीतियों का ही प्रभाव है। बाबू जी द्वारा बनाये गए नियम एवं नीतियाँ जाति बंधनों से मुक्त समरस समाज की स्थापना करने वाली रही हैं। उन्होंने भारतीय सनातन मूल्यों पल्लवित तथा पोषित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

ब्राउस की सामाजिक विज्ञान अध्ययनशाला के डीन प्रो. सुनील गोयल ने विशिष्ट उद्बोधन में कहा की बाबू जी ने भारतीय राजनीति और वंचित समाज को एक नई दिशा प्रदान की। बाबू जी ने सामाजिक कार्यों प्रमुखता दी तथा समाज को ही अपनी कार्यशाला माना। भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में रहकर उन्होंने समाज में व्याप्त विसंगतियों एवं बुराइयों को खत्म करने प्रयास किया। कई सफल एवं अनुगामी नीतियों का निर्माण किया। देश में सांस्कृतिक-आर्थिक समानता एवं समरसता का भाव उनके कृतित्व में रहा है। सामाजिक न्याय तथा राष्ट्र कल्याण का समरस भाव लोगों में आत्मसात हो यही बाबू जी का प्रयास रहा है।

विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की व्याख्याता डॉ. चन्दन कुमारी ने वक्ता रूप में कहा कि हमें भेदभाव त्याग कर इंसानियत को बढ़ावा देना चाहिए। राष्ट्र चिंतन में बाबू जगजीवन राम का योगदान स्वर्णाक्षरों में अंकित है। विश्वविद्यालय पीठ के माध्यम से निरंतर कार्यक्रम आयोजित कर उनके कार्यों को समाज तथा वैश्विक फलक पर स्थापित कर रहा है। बाबूजी के व्यक्तित्व, कृतित्व तथा उनका समरस राजनैतिक चिंतन शोध के नए आयाम दिखाता है। बाबू जी एक सफल नीति-नियामक एवं समाज सुधारक थे। जिनके अथक प्रयास से राजनीतिक चिंतन को एक नई दिशा मिलती है।

बाबू जगजीवन राम पीठ के आचार्य प्रो. शैलेन्द्र मणि त्रिपाठी ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि बाबू जगजीवन राम सर्वधर्म समभाव के पुरोधा थे। उनके व्यक्तित्व में आत्मसंयम, संगठनात्मक शक्ति, राष्ट्र नेतृत्व और स्वावलंबन जैसे गुण अन्तर्निहित थे।  बाबू जगजीवन राम के राजनैतिक चिंतन में मजदूर की चिंता सदैव दिखाई देती है। श्रम मंत्रालय में रहकर श्रम को  महत्त्व दिया तथा देशज अस्मिता से जोड़ने का अथक प्रयास किया। बाबू जी का किसी जाति, धर्म, वर्ग, संप्रदाय से कोई दुराग्रह नहीं था। उनके चिंतन में समरसता एवं सामाजिक न्याय समाहित था। बाबू जी का मानना था कि आमजन के चिंतन के केंद्र में रहकर ही देश को विकसित तथा विश्वगुरु बनाया जा सकता है।

विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. अजय वर्मा ने बाबू जगजीवन राम के राजनैतिक चिंतन पर उनकी नीतियों, कार्यों एवं दर्शन को उल्लेखित किया। कार्यक्रम का संचालन बाबू जगजीवन राम पीठ के शोध अधिकारी डॉ. रामशंकर ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अम्बेडकर पीठ के शोध अधिकारी डॉ. मनोज कुमार गुप्ता ने किया। इस अवसर पर ब्राउस समेत देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों, संस्थानों के विद्यार्थी, शोधार्थी तथा कर्मचारी आभासी पटल पर मौजूद रहे।

Post a Comment

0 Comments