मान्यता है कि वे वैशाख माह के शु्क्ल पक्ष की तृतीया तिथि को जन्में थे. परशुराम जी हनुमान जी की तरह आज भी जीवित देवताओं में से एक माने जाते हैं बैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हर वर्ष परशुराम जयंती मनाई जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान विष्णु ने परशुराम के रूप में अपना 6वां अवतार लिया था. इसी वजह से इस दिन अक्षय तृतीया के साथ परशुराम जयंती भी मनाई जाती है. भगवान परशुराम का जन्म भले ही ब्राह्मण कुल में हुआ हो लेकिन उनके गुण क्षत्रियों की तरह थे. ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के पांच पुत्रों में से चौथे पुत्र परशुराम थे. परशुराम भगवान भोलेनाथ के परम भक्त थे.इस वजह से परशुराम नाम पड़ा
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु के अवतार परशुराम जी का जन्म धरती पर हो रहे अन्याय, अधर्म और पाप कर्मों का विनाश करने के लिए हुआ था. उन्हें सात चिरंजीवी पुरुषों में से एक माना जाता है. परशुराम जी का जन्म के वक्त राम नाम रखा गया था. वे भगवान शिव की कठोर साधना करते थे. जिसके बाद भगवान भोले ने प्रसन्न होकर उन्हें कई अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए थे. परशु भी उनमें से एक था जो उनका मुख्य हथियार था. उन्होंने परशु धारण किया था इसलिए उनका नाम परशुराम पड़ गया.।इस अवसर पर अध्यक्ष डॉ राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल, महामंत्री आचार्य कृष्ण कुमार मिश्र, कोषाध्यक्ष पं देवेन्द्र प्रताप मिश्र, पं प्रमोद द्विवेदी, आचार्य धर्मेन्द्र कुमार त्रिपाठी, आचार्य अनिल कुमार मिश्र, बाबा शक्ति नाथ, आचार्य अंकित त्रिपाठी, पं गोपाल मणि त्रिपाठी,पं प्रदीप शुक्ला, प्रधानाचार्य घनश्याम पांडे, एवं काफी संख्या में विद्वतजनों की उपस्थिति रही।
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